DGMO राजीव घई का बड़ा खुलासा: 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा!
DGMO की चेतावनी और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान बैकफुट पर


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DGMO क्यों है चर्चा में?
भारत और पाकिस्तान के बीच ताज़ा तनाव और फिर अचानक हुई सीजफायर घोषणा के बाद DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्रेंड कर रहा है। इसकी मुख्य वजह रही है भारतीय DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और पाकिस्तानी DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला के बीच 10 मई को हुई सीधी बातचीत, जिससे दोनों देशों के बीच जारी गोलीबारी को रोकने का समझौता हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ करारा प्रहार
7 मई को हुए "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत भारत ने पाकिस्तान और PoK में मौजूद नौ आतंकी लॉन्चपैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक कर 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया। इसमें IC-814 के हाईजैकर्स और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड भी शामिल थे। इस ऑपरेशन की जानकारी DGMO घई ने 11 मई को एक प्रेस कांफ्रेंस में दी।
LOC पर घमासान और फिर शांति वार्ता
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद LoC पर दोनों ओर से जबरदस्त गोलीबारी हुई। हालात युद्ध जैसे बन गए थे। इसी बीच DGMO स्तर की बातचीत ने शांति की राह खोली। पाकिस्तान ने 10 मई को 3:35 PM पर संपर्क किया और 5:00 PM से सीजफायर लागू करने की सहमति बनी।
पाकिस्तान का उल्लंघन और DGMO की सख्त चेतावनी
सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने ड्रोनों के जरिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की। DGMO घई ने पाकिस्तानी समकक्ष को ‘हॉटलाइन’ पर चेतावनी दी कि अगली बार ऐसी हरकत की कीमत चुकानी होगी।
DGMO की भूमिका क्या है?
DGMO सेना के संचालन का प्रमुख होता है जो युद्धनीति, ऑपरेशन और रणनीतिक संवाद की जिम्मेदारी संभालता है। भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन पर संपर्क DGMO स्तर पर ही होता है। DGMO घई की भूमिका इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक रही है।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर जहां एक ओर #OperationSindoor और #JaiHind जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, वहीं कुछ यूज़र्स सरकार की मंशा और पाकिस्तान पर भरोसे को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। लेकिन DGMO की प्रेस वार्ता, जिसमें ‘शिव तांडव’ बजाकर शुरुआत की गई, ने लोगों को खूब प्रभावित किया।
निष्कर्ष
DGMO का रोल इस पूरे प्रकरण में भारत की सैन्य और कूटनीतिक जीत का प्रतीक बनकर उभरा है। सीमाओं पर हालात भले स्थिर लग रहे हों, लेकिन DGMO स्तर पर 12 मई को होने वाली अगली बातचीत से ही तय होगा कि यह शांति कितनी टिकाऊ साबित होगी।