फ्लैग हटाए, आज़ादी की घोषणाएं! बलूचिस्तान में उबाल क्यों?
बलूचिस्तान में आज़ादी की मांग ने सोशल मीडिया पर मचाया धमाल


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बलूचिस्तान में फिर भड़का आज़ादी का ज्वालामुखी, सोशल मीडिया बना आवाज़
'Free Balochistan' – यह शब्द X प्लेटफॉर्म पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है और इसके पीछे छिपी है एक लंबी, दर्दनाक और ज्वलंत कहानी, जो एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय फलक पर चर्चा का केंद्र बन गई है।
बलूचिस्तान: संसाधनों से भरपूर, पर संघर्ष में डूबा
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, सोना-तांबा-गैस जैसे खजानों से भरपूर है, लेकिन यहाँ के लोगों का जीवन हमेशा से संघर्षपूर्ण रहा है। यहाँ दशकों से अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं, जो अब एक बार फिर जोरों पर हैं।
14 मई को कथित आज़ादी की घोषणा!
एक पोस्ट में दावा किया गया कि बलूच नेताओं ने 'रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान' की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही भारत में बलूच दूतावास खोलने और UN से शांति सेना भेजने की मांग भी की गई। ये घोषणाएं प्रतीकात्मक भले हों, लेकिन यह दर्शाती हैं कि जनाक्रोश अब उबल रहा है।
झंडे बदले, सड़कों पर उतरे लोग
बलूच लोगों ने सरकारी इमारतों से पाकिस्तानी झंडे हटाकर बलूचिस्तान का झंडा लहराया। हजारों लोग आज़ादी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। इन प्रतीकों ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया।
BLA की चेतावनी और CPEC पर हमले
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाक और चीन को चेतावनी दी – 'बलूचिस्तान छोड़ो या मरो!' CPEC प्रोजेक्ट पर हमले और धमकियों से हालात और बिगड़ गए हैं। पाकिस्तान इस संगठन को आतंकी मानता है, लेकिन कुछ लोग इन्हें स्वतंत्रता सेनानी भी कहते हैं।
सोशल मीडिया बना विरोध का मंच
Free Balochistan Movement जैसे संगठनों ने 'ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तिहकाम' के खिलाफ ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। उनका आरोप है कि यह ऑपरेशन बलूचों के नरसंहार की साजिश है। तस्वीरें, वीडियो और पीड़ितों की गवाही ने दुनिया को झकझोर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति की बिसात
भारत, अमेरिका, चीन और ईरान – सबकी नज़र बलूचिस्तान पर है। कुछ X यूज़र्स का मानना है कि बलूचिस्तान एक रणनीतिक 'लाइफ़लाइन' बन सकता है। वहीं कुछ का दावा है कि भारत की ओर से बलूच मीडिया पर बैन इस आंदोलन को नुकसान पहुँचा रहा है।
निष्कर्ष:
'Free Balochistan' सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, एक ज्वलंत संघर्ष की सोशल मीडिया पर गूंज है। इसमें सच्चाई, भावनाएं और राजनीति – सबकी मिलावट है। यह ट्रेंड बताता है कि आज़ादी की चाह सोशल मीडिया के माध्यम से भी दुनिया को हिला सकती है। लेकिन इससे जुड़ी हर बात को तथ्यों के साथ जांचना जरूरी है, ताकि भावना और हकीकत के बीच फर्क समझा जा सके।