ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023: राष्ट्रपति मुर्मू ने इन दो साहित्यकारों को किया सम्मानित!
गुलज़ार और रामभद्राचार्य को मिला 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार,


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ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023: जब शब्दों की दुनिया में दो सितारे चमके
16 मई, 2025 की शाम नई दिल्ली के विज्ञान भवन में साहित्य का उत्सव देखने को मिला, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दो महान साहित्यकारों – गुलज़ार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य – को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। इस ऐतिहासिक समारोह की गूंज न केवल साहित्यिक हलकों में बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी सुनाई दी।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान है, जिसे 1961 में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने भारतीय भाषाओं या अंग्रेज़ी में उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान दिया हो।
दो भाषाएं, दो ध्रुव, एक समान आदर
गुलज़ार – उर्दू के सशक्त स्वर, फिल्मी गीतों और त्रिवेणी जैसी नवाचारी कविता शैली के जन्मदाता। उनका साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में योगदान अविस्मरणीय है।
वहीं, जगद्गुरु रामभद्राचार्य – संस्कृत भाषा के तेजस्वी विद्वान, जिन्होंने 240 से अधिक ग्रंथों की रचना की है। वे न केवल भाषाओं में पारंगत हैं, बल्कि धर्म, शिक्षा और साहित्य की त्रिवेणी में एक प्रकाशस्तंभ हैं।
समारोह की झलकियां
राष्ट्रपति मुर्मू की उपस्थिति में यह आयोजन एक साहित्यिक पर्व बन गया। X पर लाखों उपयोगकर्ताओं ने इस घटना को देखा, साझा किया और सराहा। कई पोस्ट्स वायरल हुए, जिनमें पुरस्कार वितरण की झलकियां थीं।
क्यों खास है यह सम्मान?
यह पहली बार नहीं है जब उर्दू या संस्कृत को यह सम्मान मिला हो, लेकिन इस बार दो विपरीत भाषाओं के दो पुरोधाओं को एक साथ सम्मानित करना भारतीय साहित्य की विविधता और समृद्धि का प्रतीक बन गया।
इस समाचार के बाद X पर #ज्ञानपीठपुरस्कार ट्रेंड करने लगा और लोगों ने इन दोनों दिग्गजों को बधाई दी।
अंत में
ज्ञानपीठ पुरस्कार केवल एक सम्मान नहीं, यह उस साहित्यिक साधना की पहचान है जो जीवन और समाज को शब्दों के माध्यम से दिशा देती है। गुलज़ार और रामभद्राचार्य – दोनों ने अपने-अपने ढंग से साहित्य को जिया और सजाया। इसीलिए, 2023 का यह पुरस्कार एक ऐतिहासिक क्षण बन गया।