लेफ्टिनेंट कर्नल बने नीरज चोपड़ा – मैदान में भी, फौज में भी फतह
नीरज चोपड़ा ने 90.23 मीटर भाला फेंक इतिहास रचा, फौजी सम्मान भी मिला


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नीरज चोपड़ा: मैदान में इतिहास और सेना में सम्मान का अनोखा संगम
भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा एक बार फिर चर्चा में हैं, और इस बार वजह है उनका ऐतिहासिक 90.23 मीटर का भाला फेंक प्रदर्शन और साथ ही सेना में मिला लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर #NeerajChopra ट्रेंड कर रहा है, और हर भारतीय गर्व से झूम रहा है। आइए जानते हैं क्यों ये हफ्ता नीरज के लिए खास बन गया।
90 मीटर क्लब में भारतीय की एंट्री
16 मई 2025 को दोहा डायमंड लीग में नीरज ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उन्होंने तीसरे प्रयास में 90.23 मीटर की दूरी तय कर भाला फेंका – ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने। हालांकि वे दूसरे स्थान पर रहे, क्योंकि जर्मनी के जूलियन वेबर ने आखिरी थ्रो में 91.06 मीटर फेंका, लेकिन नीरज का नाम इतिहास में दर्ज हो गया।
नीरज के थ्रो की डिटेल:
- पहली कोशिश: 88.40 मीटर
- तीसरी कोशिश: 90.23 मीटर (व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ)
- अंतिम थ्रो: 88.20 मीटर
नीरज ने कहा, “90 मीटर पार करना मेरे लिए सपना था, लेकिन मैं इससे और आगे जाने के लिए तैयार हूं।”
सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि
इससे कुछ ही दिन पहले, 14 मई को उन्हें टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि दी गई। यह सम्मान न सिर्फ उनके खेल प्रदर्शन के लिए है, बल्कि उनकी सेवा भावना का भी प्रतीक है। पहले वे 2016 में जूनियर कमीशंड ऑफिसर बने थे और 2024 में उन्हें सूबेदार मेजर पद मिला था। अब, यह फौजी सम्मान उन्हें एमएस धोनी और कपिल देव की श्रेणी में खड़ा करता है।
X पर जबरदस्त चर्चा
सोशल मीडिया पर नीरज की दोनों उपलब्धियों ने तूफान मचा दिया। DD Sports, NDTV India और News24 जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट्स को लाखों व्यूज़ मिले। X पर लोगों ने लिखा:
- “Neeraj Chopra joins the 90M CLUB!”
- “नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि दी गई।”
एक हफ्ता, दो बड़ी उपलब्धियाँ
एक तरफ नीरज ने एथलेटिक्स में 90 मीटर की दीवार तोड़ी, दूसरी तरफ सेना में सम्मान पाकर उन्होंने देश का नाम ऊंचा किया। शायद इसी वजह से #NeerajChopra एक भावनात्मक और गर्वभरा ट्रेंड बन गया है।
निष्कर्ष
नीरज चोपड़ा आज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा बन चुके हैं। 90 मीटर के पार उनका भाला हो या सेना की वर्दी में उनका नाम – दोनों ही उपलब्धियाँ भारत के युवाओं को यह दिखाती हैं कि मेहनत और समर्पण से कुछ भी संभव है।