फील्ड मार्शल या 'फेल्ड मार्शल'? जनरल मुनीर की पदोन्नति पर विवाद

पाक आर्मी चीफ की फील्ड मार्शल पदोन्नति पर सोशल मीडिया में हंगामा

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
फील्ड मार्शल या 'फेल्ड मार्शल'? जनरल मुनीर की पदोन्नति पर विवाद
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जनरल मुनीर बने फील्ड मार्शल: इतिहास रचने या खुद को बचाने की कोशिश?

पाकिस्तान की राजनीति और सेना एक बार फिर सुर्खियों में है। 20 मई 2025 को, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की सरकार ने जनरल सैयद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत कर दिया। यह फैसला इतना आसान नहीं था, क्योंकि इसके पीछे कई परतें और विवाद छिपे हैं।

फील्ड मार्शल—एक ऐसा रैंक जो अब तक पाकिस्तान में केवल जनरल अयूब खान को मिला था, और वो भी 1959 में। तब यह रैंक तानाशाही की ओर एक कदम माना गया था। इस बार भी ऐसा ही कुछ अंदेशा जताया जा रहा है।

भारत-पाक संघर्ष के बाद अचानक प्रमोशन

जनरल मुनीर की पदोन्नति उस समय हुई जब पाकिस्तान को भारत से हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में गंभीर नुकसान उठाना पड़ा था। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद, भारत ने 7 मई को जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 9 सैन्य ठिकानों पर हमले किए। ऐसे समय में जब पाकिस्तान सेना पर सवाल उठ रहे थे, मुनीर को फील्ड मार्शल बना देना कई लोगों को हजम नहीं हुआ।

सोशल मीडिया का ‘फेल्ड मार्शल’ टैग

X (पूर्व में ट्विटर) पर ‘Field Marshal’ ट्रेंड करने लगा, लेकिन जिस अंदाज़ में, वह पाकिस्तान सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया। यूज़र्स ने मुनीर को 'Failed Marshal' करार दिया, मीम्स की बाढ़ आ गई—“हार के बाद इनाम? ISPR की नई नेटफ्लिक्स सीरीज: Field Marshal - Escape from the Field!” जैसी टिप्पणियाँ ट्रेंड करने लगीं।

भारत बनाम पाकिस्तान: फील्ड मार्शल की तुलना

जब भारत के फील्ड मार्शल की बात होती है, तो नाम आते हैं सैम मानेकशॉ और के.एम. करियप्पा जैसे महान जनरलों के, जिनकी वीरता 1971 के युद्ध और भारतीय सेना के निर्माण से जुड़ी है। वहीं, पाकिस्तान के इस फैसले को कुछ लोग सैन्य शक्ति के केंद्रीकरण की कोशिश और चीन की रणनीतिक सहायता से जोड़ रहे हैं।

रणनीतिक चाल या अस्थिरता का संकेत?

जनरल मुनीर की यह पदोन्नति उस क़ानून संशोधन के बाद संभव हुई, जिसमें सेना प्रमुख का कार्यकाल 5 साल कर दिया गया था। इससे अंदेशा है कि मुनीर अब लंबे समय तक सत्ता में बने रहेंगे। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम देश में सैन्य प्रभुत्व बढ़ाने का संकेत है, खासकर जब नागरिक सरकार की पकड़ कमजोर है।

भारत की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव

भारत की राजनीतिक पार्टियाँ भी इस मुद्दे पर भिड़ गई हैं। भाजपा और कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर और मुनीर की पदोन्नति को लेकर बहस छेड़ दी है। भारतीय विश्लेषकों ने इसे पाकिस्तान की 'चेहरा बचाने की कोशिश' बताया है।

निष्कर्ष

'Field Marshal' का ट्रेंड इस बार केवल एक सैन्य उपाधि नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की बदलती भू-राजनीतिक तस्वीर का प्रतीक बन गया है। इस पदवी ने जनरल मुनीर को अमर बना दिया हो या विवादों का चेहरा, लेकिन फिलहाल यह तय है कि पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य स्थिति पर एक नई बहस शुरू हो गई है।