सावरकर पर फिर बवाल! राहुल गांधी के बयान से गरमाई सियासत

सावरकर पर राहुल गांधी के बयान से छिड़ी नई बहस

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
सावरकर पर फिर बवाल! राहुल गांधी के बयान से गरमाई सियासत
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सावरकर पर फिर सियासी तूफान! जानिए क्यों चर्चा में हैं वीर सावरकर

एक ओर सावरकर की 142वीं जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम हो रहे हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाज़ी और अदालती लड़ाई इस नाम को फिर सुर्खियों में ले आई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर 'Savarkar' ट्रेंड कर रहा है, और इसके पीछे हैं कई वजहें—राजनीतिक बयानों की आग, कोर्ट में लड़ाई, और विरासत की जंग।

सावरकर कौन थे?

वीर सावरकर—अर्थात विनायक दामोदर सावरकर—एक क्रांतिकारी, लेखक और हिंदुत्व विचारधारा के प्रमुख प्रवर्तक माने जाते हैं। जहां एक वर्ग उन्हें भारत माता का वीर सपूत मानता है, वहीं दूसरा उन्हें विभाजनकारी सोच का जनक कहता है। उनके ब्रिटिश राज से क्षमा याचना पत्र, गांधी जी की हत्या से जुड़ी संदिग्ध कड़ियाँ और हिंदू राष्ट्र की विचारधारा ने सावरकर को आज भी विवादों के केंद्र में बनाए रखा है।

राहुल गांधी और 'माफीवीर' विवाद

मामला तब और गरमा गया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सावरकर को लेकर टिप्पणी की कि वे ब्रिटिश सरकार से 'माफी' मांग कर जेल से छूटे थे। इस बयान ने महाराष्ट्र में शिवसेना (UBT) जैसे सहयोगियों के बीच भी विवाद खड़ा कर दिया। शिवसेना के नेता बाला दराडे ने यहां तक कहा कि वे राहुल गांधी का चेहरा काला करेंगे।

सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया है, जिसमें राहुल पर यह आरोप है कि उन्होंने सावरकर को 'मुस्लिमों की पिटाई का समर्थन करने वाला' बताया। कोर्ट में राहुल ने जवाबी हलफनामे में कहा कि सत्यकी की मां, गोडसे के भाई की बेटी हैं, जिससे यह विवाद और गहरा गया।

श्रद्धांजलि और विरोध—दोनों की गूंज

28 मई को सावरकर की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'भारत मां का सच्चा पुत्र' कहा। मुंबई विश्वविद्यालय में उनके नाम पर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन भी हुआ। वहीं दिल्ली विधानसभा में उनकी तस्वीर लगाने की अनुमति पर भी विवाद छिड़ा।

परंतु जैसे-जैसे श्रद्धांजलि दी गई, विरोध भी उतना ही मुखर रहा। कांग्रेस और कुछ सेक्युलर समूहों ने सावरकर की विरासत पर सवाल उठाए, सोशल मीडिया पर उनके ब्रिटिशों को लिखे 'दया याचिका' पत्रों का ज़िक्र करते हुए उनकी देशभक्ति पर संदेह जताया।

सोशल मीडिया पर कैसी है प्रतिक्रिया?

X पर 'Savarkar' ट्रेंड कर रहा है, और यूज़र दो धड़ों में बंटे हैं। एक ओर उनके समर्थक उन्हें राष्ट्रवादी नायक मानते हैं, वहीं आलोचक उन्हें अवसरवादी और सांप्रदायिक बताते हैं। यह बहस केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि आज की राजनीति में भी जड़ें जमाए हुए है।

निष्कर्ष

सावरकर पर चल रही यह बहस केवल एक व्यक्ति की विरासत तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत में विचारधारा की लड़ाई का प्रतीक बन चुकी है। क्या वीर सावरकर को एक वीर क्रांतिकारी माना जाए या एक विवादित विचारक? यह तय करना अब केवल इतिहासकारों का काम नहीं, बल्कि जनमानस और राजनीति दोनों का मैदान बन चुका है।