'Save Desi Cows' ट्रेंड के पीछे कौन हैं और क्यों हो रहा है वायरल?

देसी गायों की रक्षा को लेकर X पर तेज़ हुआ ट्रेंड, जानिए वजह

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
'Save Desi Cows' ट्रेंड के पीछे कौन हैं और क्यों हो रहा है वायरल?
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देसी गायों को बचाने की मुहिम पर सोशल मीडिया में हलचल

हाल ही में X (पूर्व में Twitter) पर 'Save Desi Cows' ट्रेंड कर रहा है। इस ट्रेंड के पीछे Sant Shri Asharamji Bapu के अनुयायियों की प्रमुख भूमिका देखी जा रही है। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम ज़मानत के बाद से उनके समर्थकों ने गाय संरक्षण को लेकर एक नई मुहिम शुरू की है।

X पर @Social_service6 जैसे यूज़र्स लगातार #GauSewa और #RespectTheCow जैसे हैशटैग के ज़रिए पोस्ट कर रहे हैं। इन पोस्ट्स में गायों की सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय महत्व को रेखांकित किया जा रहा है।

देसी गायों का महत्व

देसी गायों को भारतीय संस्कृति में पवित्र और उपयोगी माना जाता है। इनका गोबर और गोमूत्र आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए उपयोग होता है। वहीं, इनकी देखरेख में कम खर्च आता है और ये गर्म जलवायु में आसानी से टिक सकती हैं।

विशेषता देसी गायें विदेशी गायें
गर्मी में सहनशीलता अधिक कम
गोबर के गुण दुर्गंधहीन, औषधीय दुर्गंधयुक्त, कम गुणकारी
रख-रखाव लागत लगभग ₹4500 लगभग ₹7500
कृषि उपयोगिता खेतों में उपयोगी कम उपयोगी
रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक कम

धार्मिक और सामाजिक संदर्भ

हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। कृष्ण और कामधेनु जैसी दिव्य गायों के साथ इनका गहरा संबंध है। संत आशारामजी बापू लंबे समय से गाय संरक्षण और गौसेवा पर बल देते रहे हैं। उनके अनुसार गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।

ट्रेंड के पीछे का संदिग्ध कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड किसी विशेष कार्यक्रम, सत्संग या प्रचार मुहिम से जुड़ा हो सकता है। हालांकि, 15 मई का कोई विशेष धार्मिक महत्व नहीं मिला, लेकिन यह संभव है कि यह ट्रेंड संत जी की रिहाई के बाद उनके अनुयायियों द्वारा संगठित प्रयास का परिणाम हो।

निष्कर्ष

'Save Desi Cows' ट्रेंड न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और जैविक चेतना का भी संकेत है। गायों के संरक्षण को लेकर देश में पहले भी बहस होती रही है, और यह ट्रेंड एक बार फिर इस बहस को केंद्र में ले आया है।

नोट: यह खबर सोशल मीडिया गतिविधियों और उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। इससे संबंधित सभी पहलुओं को पूरी तरह समझने के लिए और विश्लेषण आवश्यक है।