SBI विवाद ने चिंगारी दी 'कन्नड़' भाषा की बहस को!
SBI अफसर के कन्नड़ न बोलने पर भड़के लोग, सोशल मीडिया पर बवाल


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कन्नड़ भाषा पर विवाद: एक बैंक अफसर से शुरू हुई बहस अब जन-आंदोलन का रूप ले चुकी है
21 मई 2025 को कर्नाटक के सुर्यानगर की एक एसबीआई शाखा में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक महिला अधिकारी ग्राहक से कन्नड़ की बजाय हिंदी में बात करती दिखी। जब ग्राहक ने आरबीआई के नियमों का हवाला देकर कन्नड़ में संवाद की मांग की, तो अफसर का जवाब था - "मैं कभी कन्नड़ नहीं बोलूंगी"।
इस बयान ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर जनाक्रोश पैदा कर दिया। ट्विटर (अब X) पर #SpeakKannada ट्रेंड करने लगा और लोगों ने केंद्र सरकार, आरबीआई और एसबीआई को टैग कर कार्रवाई की मांग की। खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी बयान दिया और अफसर के व्यवहार को "निंदनीय" बताया। बाद में अधिकारी ने माफी मांगते हुए कन्नड़ में काम करने का वादा किया।
लेकिन यह घटना केवल एक isolated मामला नहीं थी। यह कर्नाटक में लंबे समय से चल रहे भाषाई विवाद का एक और अध्याय है। बेंगलुरु जैसे बहुभाषीय शहरों में जहां हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु और तमिल का बोलबाला है, वहां कन्नड़ भाषियों को अक्सर हाशिये पर महसूस होता है।
पिछले कुछ महीनों में भी ऐसे कई किस्से सामने आए:
- एक ऑटो ड्राइवर से हिंदी में बात करने पर युवक को माफी मांगनी पड़ी
- जम्मू की एक महिला के कन्नड़ बोलने के वीडियो ने दिल जीत लिया
- बेलगावी में एक बस कंडक्टर से मराठी में बात करने पर हिंसा हुई
- सरकार ने आदेश दिया कि सभी बोर्ड्स में 60% हिस्सा कन्नड़ में हो
साथ ही, कन्नड़ संस्कृति और मनोरंजन में भी बड़ी हलचल दिखी:
- सारेगामापा कन्नड़ फिनाले को Zee5 पर लाइव स्ट्रीम किया गया
- राज्य सरकार ने कन्नड़ फिल्मों को प्रमोट करने के लिए OTT प्लेटफॉर्म लाने का ऐलान किया
- अनुराग कश्यप ने कन्नड़ फिल्म में डेब्यू किया
- बिग बॉस कन्नड़ 11 के ग्रैंड फिनाले ने TRP रिकॉर्ड तोड़ दिए
इन घटनाओं ने कन्नड़ को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि पहचान और स्वाभिमान का प्रतीक बना दिया है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि अब समय आ गया है कि हर व्यक्ति जहां रहे, वहां की भाषा का सम्मान करे। एक यूजर ने लिखा – "क्या आप कन्नड़ को अपनाएंगे जैसे ये आपकी खुद की भाषा है?"
निष्कर्ष: 'कन्नड़' का ट्रेंड करना केवल एक बैंक विवाद से नहीं, बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक अस्मिता की लड़ाई का संकेत है। यह बहस अब केवल भाषा की नहीं, बल्कि पहचान, सम्मान और सह-अस्तित्व की बन चुकी है।