रूस में बड़ा हमला! यूक्रेन की ड्रोन चाल से हिली पुतिन सरकार

रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन की बड़ी ड्रोन स्ट्राइक और ट्रंप की तीखी बयानबाज़ी

Published · By Tarun · Category: World News
रूस में बड़ा हमला! यूक्रेन की ड्रोन चाल से हिली पुतिन सरकार
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रूस में हलचल: यूक्रेन की चाल, ट्रंप की टिप्पणी और सोशल मीडिया की जंग

यूक्रेन का साहसी हमला: 1 जून 2025 को यूक्रेन ने रूस के अंदर गहरे जाकर 'ऑपरेशन स्पाइडरवेब' चलाया। इस मिशन में ड्रोन द्वारा बेलाया और ओलेन्या एयरबेस जैसे अहम ठिकानों को निशाना बनाया गया। रूस की रक्षा प्रणाली को चकमा देते हुए, इन ड्रोन को लकड़ी की झोपड़ियों में छुपाकर ले जाया गया था। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और यूक्रेनी सुरक्षा अधिकारियों की मानें, तो दर्जनों लड़ाकू विमान नष्ट किए गए। विशेषज्ञ इसे 'रूस का पर्ल हार्बर' बता रहे हैं।

ट्रंप की भड़काऊ टिप्पणियाँ: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Truth Social पर पुतिन को 'पागल' बताया और ज़ेलेंस्की की नीतियों पर भी निशाना साधा। ट्रंप का दावा है कि शांति समझौता करीब था, लेकिन यूक्रेन की 'जिद' के चलते यह संभव नहीं हो सका। रूसी मीडिया और बॉट्स ने ट्रंप को ट्रोल करते हुए उनकी बातों का मज़ाक उड़ाया, जबकि कुछ अमेरिकी नेताओं ने इसे गंभीर राजनयिक संकट बताया।

कैदी अदला-बदली और कूटनीति: 25 मई को रूस और यूक्रेन ने 303 कैदियों की अदला-बदली की। ज़ेलेंस्की ने बताया कि इस्तांबुल में आगे की बातचीत जारी है। हालांकि, लंदन में हुई उच्च स्तरीय शांति वार्ता असफल रही क्योंकि अमेरिकी प्रतिनिधि बीच में ही हट गए।

प्रचार और पाबंदियाँ: रूस की सोशल मीडिया पर पकड़ भी चर्चा में है। VKontakte पर फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में एक महिला को 5 साल की जेल हुई। इसके साथ ही, फ्रांस और पोलैंड ने रूस पर दुष्प्रचार और गुप्त हमलों का आरोप लगाया है। यूरोपीय संघ ने रूस की 'शैडो फ्लीट' पर नई पाबंदियाँ लगाई हैं।

सोशल मीडिया की भूमिका: X (पूर्व में Twitter) पर Russia हैशटैग के तहत कई तरह की राय सामने आ रही हैं—कुछ लोग यूक्रेन की बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जता रहे हैं। हालांकि, कई दावे अपुष्ट और अतिरंजित हैं।

👉 निष्कर्ष: रूस एक साथ कई मोर्चों पर घिरा नजर आ रहा है—सैन्य, कूटनीतिक और डिजिटल। यूक्रेन के हमलों ने उसकी कमज़ोरियों को उजागर किया है, जबकि ट्रंप की टिप्पणियाँ इस मुद्दे को वैश्विक राजनीति में और जटिल बना रही हैं। सोशल मीडिया पर बहसें तेज़ हैं, लेकिन सच्चाई और अफवाहों के बीच फर्क करना जरूरी है।

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