अंकिता भंडारी केस में बड़ा फैसला: पुलकित आर्य को उम्रकैद की सज़ा
अंकिता हत्याकांड में पुलकित आर्य को उम्रकैद, कोर्ट का बड़ा फैसला


tarun@chugal.com
उत्तराखंड की शांत वादियों में घटी एक क्रूर घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह कहानी है 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की, जो ऋषिकेश के पास स्थित वनतारा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी। 2022 में उसकी हत्या के आरोप में पुलकित आर्य, जो रिज़ॉर्ट का मालिक और एक पूर्व मंत्री का बेटा है, को गिरफ़्तार किया गया।
अब, 30 मई 2025 को कोर्ट के फैसले ने इस लंबे समय से चले आ रहे मामले को एक निर्णायक मोड़ दिया। कोटद्वार की अदालत ने पुलकित आर्य और उसके दो सहयोगियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा सुनाई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस फैसले के बाद #JusticeForAnkitaBhandari ट्रेंड कर रहा है।
क्या हुआ था उस रात?
जांच के मुताबिक, अंकिता को 'विशेष सेवा' देने के लिए मजबूर किया जा रहा था, और इनकार करने पर उसे नदी में धक्का दे दिया गया। यह मामला इसलिए भी खास रहा क्योंकि इसमें सत्ता और पैसे की ताकत का दुरुपयोग खुलकर सामने आया। पुलकित का संबंध बीजेपी नेता विनोद आर्य से है, जिसने जनता के गुस्से को और भड़का दिया।
कोर्ट का फैसला और जनता की प्रतिक्रिया
इस फैसले को जहां कुछ लोग इंसाफ की जीत मान रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि उम्रकैद पर्याप्त नहीं है और फांसी की सजा दी जानी चाहिए थी। खासकर @HimalayanRoars जैसे यूज़र्स कोर्ट में पुलकित के आत्मविश्वासी हावभाव को देख कर उसकी सज़ा पर सवाल उठा रहे हैं।
कानूनी मोर्चे पर पुलकित की मुश्किलें
इस केस के दौरान कई मोर्चों पर पुलकित की मुश्किलें बढ़ती रहीं:
- 2024 में जेल स्टाफ से मारपीट का मामला
- कोर्ट से ट्रांसफर की अर्जी
- संपत्तियों की जांच और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग
- फैक्ट्री में संदिग्ध आगजनी
इस केस की गूंज क्यों बनी रही?
इस मामले ने केवल एक हत्या तक सीमित न रहकर समाज के गहरे घाव उजागर कर दिए — महिलाओं की सुरक्षा, राजनीतिक प्रभाव, और कानून की निष्पक्षता। पूर्व कर्मचारियों ने रिज़ॉर्ट में कथित देह व्यापार और ड्रग्स की गतिविधियों का भी खुलासा किया, जिससे केस और सनसनीखेज बन गया।
निष्कर्ष
पुलकित आर्य को उम्रकैद की सज़ा मिलने के बाद अब सवाल यह है कि क्या यही इंसाफ है? क्या यह सज़ा समाज में डर पैदा करने के लिए पर्याप्त है? और क्या इस फैसले से सत्ता के दुरुपयोग पर लगाम लगेगी? इन सभी सवालों के बीच, एक बात तय है — अंकिता की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया और पुलकित आर्य एक नाम नहीं, एक प्रतीक बन गया है उस अन्याय का, जिसके खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है।